उत्तर प्रदेश का इतिहास....

उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं हिन्दू धर्म
के इतिहास मे अहम योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश आधुनिक भारत के इतिहास और राजनीति का
केन्द्र बिन्दु रहा है और यहाँ के निवासियों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में प्रमुख
भूमिका निभायी।
उत्तर प्रदेश के इतिहास को निम्नलिखित
पाँच भागों में बाटकर अध्ययन किया जा सकता है-
(1) प्रागैतिहासिक एवं पूर्ववैदिक काल
(६०० ईसा पूर्व तक),
(2) हिन्दू-बौद्ध काल (६०० ईसा पूर्व से
१२०० ई तक),
(3) मध्य काल (सन् १२०० से १८५७ तक),
(4) ब्रिटिश काल (१८५७ से १९४७ तक) और
(5) स्वातंत्रोत्तर काल (1947 से अब तक)
प्रागैतिहासिक एवं पूर्ववैदिक काल....
उत्तर प्रदेश का ज्ञात इतिहास लगभग
4000 वर्ष पुराना है। यह आर्यावर्त का प्रमुख भाग था। रामायण में वर्णित तथा हिन्दुओं
के एक मुख्य भगवान "भगवान राम" का प्राचीन राज्य कौशल इसी क्षेत्र में था,
अयोध्या इस राज्य की राजधानी थी। हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु
के आठवे अवतार भगवान कृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में हुआ था। संसार के
प्राचीनतम शहरों में एक माना जाने वाला वाराणसी शहर भी यहीं पर स्थित है। वाराणसी के
पास स्थित सारनाथ का चौखन्डी स्तूप भगवान बुद्ध के प्रथम प्रवचन की याद दिलाता है।
समय के साथ यह क्षेत्र छोटे-छोटे राज्यों
में बँट गया या फिर बड़े साम्राज्यों, गुप्त,
मौर्य और कुषाण के शासन का अंग रहा। ७वी शताब्दी में कन्नौज गुप्ता साम्राज्य
का प्रमुख केन्द्र था।
बौद्ध काल....
सातवीं शताब्दी ई. पू. के अन्त से भारत
और उत्तर प्रदेश का व्यवस्थित इतिहास आरम्भ होता है, जब
उत्तरी भारत में 16 महाजनपद श्रेष्ठता की दौड़ में शामिल थे, इनमें से सात वर्तमान उत्तर प्रदेश की सीमा के अंतर्गत थे। बुद्ध ने अपना पहला
उपदेश वाराणसी (बनारस) के निकट सारनाथ में दिया और एक ऐसे धर्म की नींव रखी,
जो न केवल भारत में, बल्कि चीन व जापान जैसे सुदूर
देशों तक भी फैला। कहा जाता है कि बुद्ध को कुशीनगर में परिनिर्वाण (शरीर से मुक्त
होने पर आत्मा की मुक्ति) प्राप्त हुआ था, जो पूर्वी ज़िले देवरिया
में स्थित है। पाँचवीं शताब्दी ई. पू. से छठी शताब्दी ई. तक उत्तर प्रदेश अपनी वर्तमान
सीमा से बाहर केन्द्रित शक्तियों के नियंत्रण में रहा, पहले मगध,
जो वर्तमान बिहार राज्य में स्थित था और बाद में उज्जैन, जो वर्तमान मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। इस राज्य पर शासन कर चुके इस काल
के महान शासकों में चन्द्रगुप्त प्रथम (शासनकाल लगभग 330-380 ई.) व अशोक (शासनकाल लगभग
268 या 265-238), जो मौर्य सम्राट थे और समुद्रगुप्त (लगभग
330-380 ई.) और चन्द्रगुप्त द्वितीय हैं (लगभग 380-415 ई., जिन्हें
कुछ विद्वान विक्रमादित्य मानते हैं)। एक अन्य प्रसिद्ध शासक हर्षवर्धन (शासनकाल
606-647) थे। जिन्होंने कान्यकुब्ज (आधुनिक कन्नौज के निकट) स्थित अपनी राजधानी से
समूचे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश,
पंजाब और राजस्थानके कुछ हिस्सों पर शासन किया।
इस काल के दौरान बौद्ध संस्कृति,
का उत्कर्ष हुआ। अशोक के शासनकाल के दौरान बौद्ध कला के स्थापत्य व वास्तुशिल्प
प्रतीक अपने चरम पर पहुँचे। गुप्त काल (लगभग 320-550) के दौरान हिन्दू कला का भी अधिकतम
विकास हुआ। लगभग 647 ई. में हर्ष की मृत्यु के बाद हिन्दूवाद के पुनरुत्थान के साथ
ही बौद्ध धर्म का धीरे-धीरे पतन हो गया। इस पुनरुत्थान के प्रमुख रचयिता दक्षिण भारतमें
जन्मे शंकर थे, जो वाराणसी पहुँचे, उन्होंने
उत्तर प्रदेश के मैदानों की यात्रा की और हिमालय में बद्रीनाथ में प्रसिद्ध मन्दिरकी
स्थापना की। इसे हिन्दू मतावलम्बी चौथा एवं अन्तिम मठ (हिन्दू संस्कृति का केन्द्र)
मानते हैं।
मुस्लिम काल....
इस क्षेत्र में हालांकि 1000-1030 ई. तक
मुसलमानों का आगमन हो चुका था, लेकिन उत्तरी
भारत में 12वीं शताब्दी के अन्तिम दशक के बाद ही मुस्लिम शासन स्थापित हुआ,
जब मुहम्मद ग़ोरी ने गहड़वालों (जिनका उत्तर प्रदेश पर शासन था) और अन्य
प्रतिस्पर्धी वंशों को हराया था। लगभग 600 वर्षों तक अधिकांश भारत की तरह उत्तर प्रदेश
पर भी किसी न किसी मुस्लिम वंश का शासन रहा, जिनका केन्द्र दिल्ली
या उसके आसपास था। 1526 ई. में बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी को हराया और
सर्वाधिक सफल मुस्लिम वंश, मुग़ल वंश की नींव रखी। इस साम्राज्य
ने 200 वर्षों से भी अधिक समय तक उपमहाद्वीप पर शासन किया। इस साम्राज्य का महानतम
काल अकबर (शासनकाल 1556-1605 ई.) का काल था, जिन्होंने आगरा के
पास नई शाही राजधानी फ़तेहपुर सीकरी का निर्माण किया। उनके पोते शाहजहाँ (शासनकाल
1628-1658 ई.) ने आगरा में ताजमहल (अपनी बेगम की याद में बनवाया गया मक़बरा,
जो अपने चोह्दवें प्रसव के दौरान चल बसी थीं जिसके मरने के तीन महीने
बाद उसकी छोटी बहन से निकाह कर लिया) बनवाया, जो विश्व के महानतम
वास्तुशिल्पीय नमूनों में से एक है। शाहजहाँ ने आगरा व दिल्ली में भी वास्तुशिल्प की
दृष्टि से कई महत्त्वपूर्ण इमारतें बनवाईं थीं।
उत्तर प्रदेश में केन्द्रित मुग़ल साम्राज्य
ने एक नई मिश्रित संस्कृति के विकास को प्रोत्साहित किया। अकबर इसके महानतम प्रतिपादक
थे, जिन्होंने बिना किसी भेदभाव के अपने दरबार
में वास्तुशिल्प, साहित्य, चित्रकला और
संगीत विशेषज्ञों को नियुक्त किया था। हिन्दुत्व और इस्लाम के टकराव ने कई नए मतों
का विकास किया, जो इन दोनों और भारत की विभिन्न जातियों के बीच
आम सहमति क़ायम करना चाहते थे। भक्ति आन्दोलन के संस्थापक रामानन्द (लगभग
1400-1470 ई.), जिनका दावा था कि, मुक्ति
लिंग या जाति पर आश्रित नहीं है और सभी धर्मों के बीच अनिवार्य एकता की शिक्षा देने
वाले कबीर ने उत्तर प्रदेश में मौजूद धार्मिक सहिष्णुता के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई केन्द्रित
की। 18वीं शताब्दी में मुग़लों के पतन के साथ ही इस मिश्रित संस्कृति का केन्द्र दिल्ली
से लखनऊ चला गया, जो अवध (औध, वर्तमान अयोध्या)
के नवाब के अन्तर्गत था और जहाँ साम्प्रदायिक सदभाव के माहौल में कला, साहित्य, संगीत और काव्य का उत्कर्ष हुआ।
ब्रिटिश काल....
लगभग 75 वर्ष की अवधि में वर्तमान उत्तर
प्रदेश के क्षेत्र का ईस्ट इण्डिया कम्पनी (ब्रिटिश व्यापारिक कम्पनी) ने धीरे-धीरे
अधिग्रहण किया। विभिन्न उत्तर भारतीय वंशों 1775, 1798
और 1801 में नवाबों, 1803 में सिंधिया और 1816 में गोरखों से
छीने गए प्रदेशों को पहले बंगाल प्रेज़िडेन्सी के अन्तर्गत रखा गया, लेकिन 1833 में इन्हें अलग करके पश्चिमोत्तर प्रान्त (आरम्भ में आगरा प्रेज़िडेन्सी
कहलाता था) गठित किया गया। 1856 ई. में कम्पनी ने अवध पर अधिकार कर लिया और आगरा एवं
अवध संयुक्त प्रान्त (वर्तमान उत्तर प्रदेश की सीमा के समरूप) के नाम से इसे 1877 ई.
में पश्चिमोत्तर प्रान्त में मिला लिया गया। 1902 ई. में इसका नाम बदलकर संयुक्त प्रान्त
कर दिया गया।
1857-1859 ई. के बीच ईस्ट इण्डिया कम्पनी
के विरुद्ध हुआ विद्रोह मुख्यत: पश्चिमोत्तर प्रान्त तक सीमित था। 10 मई 1857 ई. को
मेरठ में सैनिकों के बीच भड़का विद्रोह कुछ ही महीनों में 25 से भी अधिक शहरों में
फैल गया। 1858 ई. में विद्रोह के दमन के बाद पश्चिमोत्तर और शेष ब्रिटिश भारत का प्रशासन
ईस्ट इण्डिया कम्पनी से ब्रिटिश ताज को हस्तान्तरित कर दिया गया। 1880 ई. के उत्तरार्द्ध
में भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के साथ संयुक्त प्रान्त स्वतंत्रता आन्दोलन में अग्रणी
रहा। प्रदेश ने भारत को मोतीलाल नेहरू, मदन
मोहन मालवीय, जवाहरलाल नेहरूऔर पुरुषोत्तमदास टंडन जैसे महत्त्वपूर्ण
राष्ट्रवादी राजनीतिक नेता दिए। 1922 में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने
के लिए किया गया महात्मा गांधी का असहयोग आन्दोलन पूरे संयुक्त प्रान्त में फैल गया,
लेकिन चौरी चौरागाँव (प्रान्त के पूर्वी भाग में) में हुई हिंसा के कारण
महात्मा गांधी ने अस्थायी तौर पर आन्दोलन को रोक दिया। संयुक्त प्रान्त मुस्लिम लीग
की राजनीति का भी केन्द्र रहा। ब्रिटिश काल के दौरान रेलवे, नहरऔर
प्रान्त के भीतर ही संचार के साधनों का व्यापक विकास हुआ। अंग्रेज़ों ने यहाँ आधुनिक
शिक्षा को भी बढ़ावा दिया और यहाँ पर लखनऊ विश्वविद्यालय (1921 में स्थापित) जैसे विश्वविद्यालय
व कई महाविद्यालय स्थापित किए।
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम....
सन १८५७ में अन्ग्रेज़ी फौज के भारतीय
सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह एक साल तक चला और अधिकतर उत्तर भारत में
फ़ैल गया। इसे भारत का प्रथम स्वतन्त्रता सन्ग्राम कहा गया। इस विद्रोह का प्रारम्भ
मेरठ शहर में हुआ। इस का कारण अंग्रेज़ों द्वारा गाय और सुअर की चर्बी से युक्त कारतूस
देना बताया गया। इस संग्राम का एक प्रमुख कारण डलहौजी की राज्य हड़पने की नीति भी थी।
यह लड़ाई मुख्यतः दिल्ली,लखनऊ,कानपुर,इलाहबाद,झाँसी और बरेली
में लड़ी गयी। इस लड़ाई में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, अवध की
बेगम हज़रत महल, बख्त खान, नाना साहेब,मौलवी लियाक़त अली,मौलवी लियाक़त अली इलाहबाद महगांव,
मौल्वी अहमदुल्ला शाह्, राजा बेनी माधव सिंह्,
अजीमुल्लाह खान और अनेक देशभक्तों ने भाग लिया।
बीसवीं शती....
सन १९०२ में नार्थ वेस्ट प्रोविन्स का
नाम बदल कर यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा
में इसे यूपी कहा गया। सन १९२० में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया
गया। प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक्
न्यायपीठ स्थापित की गयी।
स्वतंत्रता के पश्चात का काल....
1947 में संयुक्त प्रान्त नव स्वतंत्र
भारतीय गणराज्य की एक प्रशासनिक इकाई बना। दो साल बाद इसकी सीमा के अन्तर्गत स्थित,
टिहरी गढ़वाल और रामपुर के स्वायत्त राज्यों को संयुक्त प्रान्त में
शामिल कर लिया गया। 1950 में नए संविधान के लागू होने के साथ ही 12 जनवरी सन 1950 को
इस संयुक्त प्रान्त का नाम उत्तर प्रदेश रखा गया और यह भारतीय संघ का राज्य बना। स्वतंत्रता
के बाद से भारत में इस राज्य की प्रमुख भूमिका रही है। इसने देश को जवाहर लाल नेहरू
और उनकी पुत्री इंदिरा गांधी सहित कई प्रधानमंत्री, सोशलिस्ट
पार्टी के संस्थापक आचार्य नरेन्द्र देव, जैसे प्रमुख राष्ट्रीय
विपक्षी (अल्पसंख्यक) दलों के नेता और भारतीय जनसंघ, बाद में
भारतीय जनता पार्टी व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता दिए हैं। राज्य की
राजनीति, हालांकि विभाजनकारी रही है और कम ही मुख्यमंत्रियों
ने पाँच वर्ष की अवधि पूरी की है। गोविंद वल्लभ पंत इस प्रदेश के प्रथम मुख्य मन्त्री
बने। अक्टूबर १९६३ में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश एवम भारत की प्रथम महिला मुख्य
मन्त्री बनी।
सन २००० में पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश के
पहाड़ी क्षेत्र स्थित गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल को मिला कर एक नये राज्य उत्तरांचल का
गठन किया गया जिसका नाम बाद में बदल कर उत्तराखण्ड कर दिया गया है। मायावती पहली दलित महिला हैं जो भारत के
किसी राज्य की मुख्यमन्त्री बनीं हैं।[२].
राज्य का विभाजन....
उत्तर प्रदेश के गठन के तुरन्त बाद उत्तराखण्ड
क्षेत्र (गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्र द्वारा निर्मित) में समस्याएँ उठ खड़ी हुईं। इस
क्षेत्र के लोगों को लगा कि, विशाल जनसंख्या
और वृहद भौगोलिक विस्तार के कारण लखनऊ में बैठी सरकार के लिए उनके हितों की देखरेख
करना सम्भव नहीं है। बेरोज़गारी, ग़रीबों और सामान्य व्यवस्था
व पीने के पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं की कमी और क्षेत्र के अपेक्षाकृत कम विकास ने
लोगों को एक अलग राज्य की माँग करने पर विवश कर दिया। शुरू-शुरू में विरोध कमज़ोर था,
लेकिन 1990 के दशक में इसने ज़ोर पकड़ा व आन्दोलन तब और भी उग्र हो गया,
जब 2 अक्टूबर 1994 को मुज़फ़्फ़रनगर में इस आन्दोलन के एक प्रदर्शन में
पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में 40 लोग मारे गए। अन्तत: नवम्बर, 2000 में उत्तर प्रदेश के पश्चिमोत्तर हिस्से से उत्तरांचल के नए राज्य का,
जिसमें कुमाऊं और गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्र शामिल थे, गठन किया गया।
उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ है ।
मंडल....

- आगरा
- इलाहाबाद
- आजमगढ़
- बरेली
- बस्ती
- चित्रकूट
- देवीपाटन
- फैजाबाद
- गोरखपुर
- झाँसी
- कानपुर
- लखनऊ
- मिरजापुर
- मुरादाबाद
- सहारनपुर
- वाराणसी
उत्तर प्रदेश के कुल ज़िले....
ü अंबेडकर
नगर जिला
ü राजेसुल्तानपुर
ü आगरा
जिला
ü अलीगढ़
जिला
ü आजमगढ़
जिला
ü इलाहाबाद
जिला
ü उन्नाव
जिला
ü इटावा
जिला
ü एटा
जिला
ü औरैया
जिला
ü कन्नौज
जिला
ü कौशम्बी
जिला
ü कुशीनगर
जिला
ü कानपुर
नगर जिला
ü कानपुर
देहात जिला
ü गाजीपुर
जिला
ü गाजियाबाद
जिला
ü गोरखपुर
जिला
ü गोंडा
जिला
ü गौतम
बुद्ध नगर जिला
ü चित्रकूट
जिला
ü जालौन
जिला
ü चन्दौली
जिला
ü ज्योतिबा
फुले नगर जिला
ü झांसी
जिला
ü जौनपुर
जिला
ü देवरिया
जिला
ü पीलीभीत
जिला
ü प्रतापगढ़
जिला
ü फतेहपुर
जिला
ü फ़र्रूख़ाबाद
जिला
ü फिरोजाबाद
जिला
ü फैजाबाद
जिला
ü बलरामपुर
जिला
ü बरेली
जिला
ü बलिया
जिला
ü बस्ती
जिला
ü बदौन
जिला
ü बहरैच
जिला
ü बुलन्दशहर
जिला
ü बागपत
जिला
ü बिजनौर
जिला
ü बाराबांकी
जिला
ü बांदा
जिला
ü मैनपुरी
जिला
ü महामयानगर
जिला (हाथरस जिला)
ü मऊ
जिला
ü मथुरा
जिला
ü महोबा
जिला
ü महाराजगंज
जिला
ü मिर्जापुर
जिला
ü मुझफ्फरनगर
जिला
ü मेरठ
जिला
ü मुरादाबाद
जिला
ü रामपुर
जिला
ü रायबरेली
जिला
ü लखनऊ
जिला
ü ललितपुर
जिला
ü लखिमपुर
खेरी जिला
ü वाराणसी
जिला
ü सुल्तानपुर
जिला
ü शाहजहांपुर
जिला
ü श्रावस्ती
जिला
ü सिद्धार्थनगर
जिला
ü संत
कबीर नगर जिला
ü सीतापुर
जिला
ü संत
रविदास नगर जिला
ü सोनभद्र
जिला
ü सहारनपुर
जिला
ü हमीरपुर
जिला, उत्तर प्रदेश
ü हरदोई
जिला
प्रमुख नगर....

आगरा • इलाहाबाद • कानपुर • लखनऊ • मेरठ
• वाराणसी • फैजाबाद
भाषा
हिंदूस्थानी ( हिंदी · उर्दू
) · ब्रज भाषा · अवधी · भोजपुरी · बुंदेली
पुरातन काल में उत्तर प्रदेश मध्य-देश
नाम से प्रशिद्ध था अयोध्या का प्राचीन नाम‘अयाज्सा’ था
आगरा की स्थापना‘सिकन्दर लोदी’ ने
1504 ई० में की की थी दूसरी- तीसरी शताब्दी में कौशाम्बी ‘मघों’
कीराजधानी थी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड’ क्षेत्र में
मराठो का साम्राज्य स्थापित था
‘ 1857 की क्रांति को भारत की प्रथम स्वाधीनता
संग्राम की संज्ञा ‘वीर सावरकर’दी उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय को ‘आगरा’
से हटाकर ‘इलाहबाद’ 1869 ई० में किया गया ?
उत्तर प्रदेश का नामकरण 12 जनवरी 1950में
किया गया गौतम बुद्ध का अधिकांश संन्यासी जीवन उत्तर
प्रदेश में व्यतीत हुआ था 483ई०पू० में कुशीनगर में गौतम बुद्ध को
महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुई थी 26 जनवरी 1950 ई० को उत्तर प्रदेश,
गणतंत्र भारत का एक पूर्ण राज्य बना
सन 1836 ई० में उत्तर प्रदेश की राजधानी
आगर थी सन 1858 ई० में उत्तर प्रदेश की राजधानी
इलाहाबाद थी
